आयत

 
तुम्हारे मित्र तो केवल अल्लाह और उसका रसूल और वे ईमानवाले है; जो विनम्रता के साथ नमाज़ क़ायम करते है और ज़कात देते है रुकू में.
मैदाह , आयात 55
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हदीस

 
रसूले अकरम (स.अ.व.व): हमेशा मेरे उम्मती खैरो बरकत को देखेंगे जब तक की एक दूसरे से मौहब्बत करते रहे, नमाज पढ़ते रहे, जकात देते रहे और मेहमान की इज़्ज़त करते रहे।
(अमाली शेख तूसी पेज न. 647 हदीस न. 1340)
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लक्ष्य और उद्देश्य

ग़दीर व विलायत हमारे विश्वास और अमल का आधार है, हमारी संस्कृति के जीवन का स्तंभ है, हम उसी से लो लगाए जीते आए हैं और उसी पर मरते रहेंगे, उसका सिरा कुरान की अमृत आयात से मिलता है और लगातार तीस वर्ष तक सीरते रसूल की नहर के पानी से उसको सींचा गया है, आँ हज़रत ने ग़दीर की घोषणा और विलायत के महत्व और महानता के मद्देनजर उसे आने वाली पीढ़ियों में अधिक से अधिक फैलाने का विशेष आदेश दिया है।

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